Thursday, March 16, 2023

 

मणिपुर सेवा यात्रा वृतांत (मणिपुर : भारत का स्विट्जरलैंड)

सैन्य सेवा भी अपने आप मै कुछ यादगार लम्हे अपने आप दे कर जाती है या तो एक सैनिक अपना सर्वोच्च बलिदान सेना / देश को दे देता है , या फिर सहकुशल घर वापसी हो जाती है।  मै भी उन भारतीय सैनिको मै से एक हूँ।  मुझे भारतीय सेना ( सेना चिकित्सा कोर ) मै 17  साल अपनी सेवाएं देने का अभूतपूर्व सौभाग्य मिला।  दिसंबर 2020  मै 17 साल सेवाएं देने के बाद मैंने पेंशन के साथ सेवा निवृति ले ली थी।

इस छोटी सी सेवा मै मुझे भारत के विभिन्न  क्षेत्रो मै काम करने का अवसर मिला लेकिन उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर के लैमाखोंग जो की मणिपुर की राजधानी इम्फाल से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 

लैमाखोंग , मणिपुर

मणिपुर का शाब्दिक अर्थआभूषणों की भूमिहै। भारत की स्वतंत्रता के पहले यह रियासत थी। आजादी के बाद यह भारत का एक केंद्रशासित राज्य बना। यहाँ की राजधानी इम्फाल है। यह संपूर्ण भाग पहाड़ी है। जलवायु गरम एवं तर है तथा वार्षिक वर्षा का औसत 65 इंच है। यहाँ नागा तथा कूकी जाति की लगभग 60 जनजातियाँ निवास करती हैं। यहाँ के लोग संगीत तथा कला में बड़े प्रवीण होते हैं। यहाँ कई बोलियाँ बोली जाती हैं। पहाड़ी ढालों पर चाय तथा घाटियों में धान की खेती होती है। मणिपुर से होकर एक सड़क बर्मा को जाती है।

यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य ने मन मोह लिया था यहाँ की वो बारिस , आस-पास के वो नदी नालो से आती कल-कल छल-छल  की आवाज़ , वो भूकंप का डर, वो पैरो मै जौक लगने का डर  (एक अनोखा कीड़ा जो खून चूसता है तथा बड़ा होता जाता है ), वो सप्ताहांत का ट्रैकिंग , छोटा सा लैमाखोंग बाजार , वो  मिलिट्री स्टेशन वाला मूवी सच मै एक अलग ही आंनद था।  लेकिन ठीक इनका उल्टा यहाँ उग्रवादी घटनाये होती रहती थी।  खैर मै उनका ज्यादा वर्णन किन्ही कारणों से नहीं कर सकता।  इस हेतु मै सौभाग्यसाली रहा की मुझे लोकटक झील , तथा INA  संग्रालय घूमने का मौका मिला। 

लोकटक झील

मै मेरे अन्य साथिओ के साथ सेना के ही वाहनों से विभिन्न जगहों पर सुरक्षा जांच के बाद सब से पहले हम लोकटक झील गए  वहI हमको  सैन्य इलाके मै ही बोटिंग का आनंद लेने का सौभाग्य  प्राप्त  हुआ इस दौरान हमने तैरते हुए दीपो पर उतरने की कोशिस भी की लेकिन वह मुमकिन नहीं हो पाया।  वह खतरनाक साबित हो सकता था।  इस झील की कुछ खास बाते निम्न लिखित है। 

·         यह इम्फाल से लगभग 40 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।

·         लोकटक झील पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी मीठे जल की झील है, जो जल की सतह के ऊपर तैरती फुमडी के लिये प्रसिद्ध है।

·         यह झील अपने तैरते वृत्ताकार दलदलों (स्वैंप) के लिये जानी जाती है, जिन्हें स्थानीय भाषा में फुमडी कहा जाता है।

·         यह झील अपनी अलौकिक सुंदरता के कारण दूर-दूर से पर्यटकों को आकर्षित करती है।

·         ये दलदल द्वीपों के सदृश लगते हैं जो मिट्टी, कार्बनिक पदार्थ और वनस्पतियों के इकट्ठे होने से निर्मित हुए हैं।

·         यह दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान है, लोकटक झील पर स्थित केइबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान मणिपुर का डांसिंग डियर 'सांगई' (Rucervus eldii eldii), जो कि मणिपुर का राज्य पशु है, का अंतिम प्राकृतिक आवास है।

·         इसके अलावा झील जलीय पौधों की लगभग 230 प्रजातियों, 100 प्रकार के पक्षियों तथा 400 प्रजातियों के जीवों जैसे- बार्किंग डियर, सांभर और भारतीय अजगर को आश्रय प्रदान करती है।

·         पारिस्थितिक स्थिति और इसके जैवविविधता मूल्यों को ध्यान में रखते हुए लोकटक झील को वर्ष 1990 में रामसर अभिसमय के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि के रूप में नामित किया गया था।

आईएनए मेमोरियल, इंफाल, मणिपुर

भारतीय राष्ट्रीय सेना के सैनिकों को समर्पित मोइरांग में आईएनए मेमोरियल या आईएनए शहीद स्मारक परिसर, जिन्होंने भारतीय राष्ट्र के लिए अपना बलिदान दिया। इस परिसर के निर्माण के पीछे का उद्देश्य उन सभी भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देना है, जिन्होंने युद्ध में भारतीय राष्ट्र के लिए अपने अमूल्य जीवन का बलिदान दिया, यह स्थान भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में भी बहुत महत्व रखता है। कई शहीद सैनिकों की अस्थियाँ परिसर के भीतर दफन हैं। कॉम्प्लेक्स में पत्र, युद्ध से जुड़ी चीजें, कई सैनिकों की तस्वीरें, बैज और बहुत कुछ प्रदर्शित किये हुए है ।

            पर्यटक इसके अंदर  आईएनए वार मेमोरियल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कांस्य प्रतिमा, पारंपरिक मणिपुरी शैली में निर्मित पत्थर की संरचना, और कई स्वतंत्रता सेनानियों के सामान जैसे विशाल स्मारक देखे जा सकते हैं। यह स्थान आगंतुकों को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के साथ जोड़ता है, जो मणिपुर में एक यात्रा स्थल है।

यहाँ देख कर सच मैं ऐसा लगता है कि आज हम अगर कोई हमारे लिए अपना सर्वोच्च बलिदान नहीं देता तो हम आज भी  गुलाम होते।  एक देश भक्ति कि भावना दिल मैं जाग्रत हो जाती है।  इम्फाल आने वाले लगभग सभी पर्यटक यहाँ जरूर आते है। 

इस छोटे से प्रवास के साथ ही हम दिए गए समय मै लैमाखोंग वापस हो गए थे लेकिन मणिपुर को भारत का स्विट्जरलैंड क्यों कहते है उसका आभास हमको अच्छी तरह हो गया था आप सभी को कभी समय मिले तो मणिपुर जरूर घूमने जाना इन शुभकामनाओं के साथ आप का अपना साथी


 

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